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Green House Farming : खुशखबर! सरकार किसानों को ग्रीन हाउस फार्मिंग हेतु दे रहीं रही 90 प्रतिशत सबसिडी, यहां से करें ऑनलाइन आवेदन

Green House Farming : ग्रीन हाउस फार्मिंग तकनीक और सरकार से 90 प्रतिशत फीसदी सब्सिडी कैसे पाएं । अब पारंपरिक खेती का समय नहीं है। इस प्रकार की खेती में किसान चुनिंदा फसलों को केवल रबी और खरीफ मौसम में ही उगा सकता है। इससे किसानों को खास फायदा नहीं हो रहा है। किसानों को कई बार सामान्य खेती के दौरान प्राकृतिक आपदाओं का सामना करना पड़ता है जैसे सर्दी के पाले से फसल का नुकसान, सूखे या सूखे के कारण फसल का नुकसान या भारी वर्षा के कारण फसल का नुकसान आदि।

किसानों को ग्रीन हाउस फार्मिंग हेतु ऑनलाइन

आवेदन करने के लिए यहां क्लिक करें

इससे किसान कर्ज के बोझ तले दब गया है। आजकल किसानों को 12 महीने नई तकनीक से खेती करनी पड़ती है। इस बात को ध्यान में रखते हुए केंद्र और राज्य सरकारें किसानों को खेती के लिए ग्रीन हाउस बनाने में सक्षम बनाने के लिए कई योजनाएं चला रही हैं। इसमें किसानों को सब्सिडी भी दी जाती है। हाल ही में राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अपने राज्य में किसानों के लिए ग्रीनहाउस खेती के लिए सब्सिडी योजना शुरू की है। इसमें अनुसूचित जाति/जनजाति के कृषकों को 70 प्रतिशत एवं अन्य कृषकों को 70 प्रतिशत उपदान दिया जायेगा

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Benefits Of a Greenhouse to the Environment

Green house Farming इससे किसान साल भर अलग-अलग फसल उगा सकते हैं। ग्रीनहाउस में उगाई जाने वाली फसलों की गुणवत्ता खेती के अन्य तरीकों की तुलना में काफी बेहतर होती है। इसलिए बाजार में इनकी कीमत अधिक है। इस तरह किसान ग्रीनहाउस फार्मिंग कर अपनी आमदनी दोगुनी कर सकते हैं।यहां ट्रैक्टर गुरु की इस पोस्ट में किसान भाइयों को ग्रीनहाउस खेती की विधि और इसके लिए राजस्थान सरकार द्वारा दी जाने वाली सब्सिडी योजना के बारे में पूरी जानकारी दी जा रही है। हमारे साथ ट्रैक्टर गुरु पर बने रहें और इस पोस्ट को पढ़ें और शेयर करें ताकि अन्य किसानों को भी इसके बारे में पता चल सके।

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ग्रीनहाउस खेती के लिए सब्सिडी मानदंड

राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की सरकार ने ग्रीन हाउस खेती को बढ़ावा देने के लिए सब्सिडी देने की घोषणा की है। इसे लागू किया गया है। इसमें छोटी एवं न्यूनतम जोत वाले किसानों को प्राथमिकता दी जा रही है। सरकार द्वारा ग्रीनहाउस निर्माण के लिए निर्धारित मानदंड में आम किसानों को 4000 वर्ग मीटर क्षेत्र में ग्रीनहाउस बनाने पर 50 प्रतिशत अनुदान दिया जाएगा। वहीं अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति वर्ग के छोटे किसानों को अनुदान राशि का 70 प्रतिशत दिया जाएगा।

ग्रीन हाउस अनुदान के लिए आवेदन कैसे करें?
ग्रीन हाउस सब्सिडी का लाभ उठाने के लिए, राजस्थान के किसानों को किसान राज किसान साथी पोर्टल पर जाना होगा या अपने नजदीकी ई-मित्र केंद्र पर जाना होगा और इस पोर्टल के माध्यम से आवेदन करना होगा। इसके लिए कृषकों के पास अपनी कृषि जमाबंदी प्रति, आधार कार्ड, मृदा परीक्षण रिपोर्ट तथा लघु या सीमांत कृषक प्रमाण पत्र के साथ अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति का प्रमाण पत्र होना आवश्यक है।

सब्सिडी की राशि सीधे बैंक खाते में जमा की जाएगी
ग्रीनहाउस अनुदान योजना के तहत आवेदन जमा करने के कुछ दिन बाद उद्यान विभाग द्वारा प्रशासनिक स्वीकृति दी जायेगी. इसके बाद ग्रीन हाउस का निर्माण शुरू किया जाएगा। वहीं ग्रीनहाउस का भौतिक सत्यापन होने के बाद राशि आपके बैंक खाते में पहुंच जाएगी.

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ग्रीन हाउस फार्मिंग तकनीक क्या है ?

ग्रीनहाउस खेती शुरू करने से पहले, किसानों को इसकी तकनीक का उचित ज्ञान होना आवश्यक है। किसान भाइयों को बता दें कि ग्रीन हाउस फार्मिंग तकनीक में पहला कदम ग्रीन हाउस बनाना है। इसे ग्रीन फाइबर से बनाया गया है। इसमें काफी खर्चा आता है, इसलिए राजस्थान सरकार ने इसके लिए सब्सिडी देने का ऐलान किया है।

फसलों के लिए तापमान नियंत्रण आसान है। लिहाजा सर्दी, गर्मी और बारिश में फसलें पूरी तरह सुरक्षित रहती हैं। यह तकनीक फसलों को कीटों और बीमारियों से भी बचाती है। इसकी खेती फल और सब्जियों से लेकर फूल और हर चीज में की जा सकती है। ग्रीनहाउस खेती में कम सिंचाई सबसे बड़ा फायदा है। इससे लागत कम आती है।

ग्रीनहाउस बनाने के लिए सामग्री और लागत

बता दें कि ग्रीन हाउस बनाने की अनुमानित लागत 750 से 1000 रुपये प्रति वर्ग मीटर है। इसके लिए बांस, धातु के पाइप, लकड़ी, स्टील, फाइबर जैसी सामग्री की जरूरत होती है। इसमें शामिल कुल लागत हर किसान के लिए वहन करने योग्य नहीं है। इसलिए सरकार द्वारा दी जाने वाली सब्सिडी का लाभ उठाएं।

ग्रीन हाउस खेती के लाभ
अगर आप ग्रीन हाउस फार्मिंग करते हैं तो आपको कई फायदे मिलेंगे। इस प्रकार की खेती साल भर की जा सकती है। साथ ही, यह सामान्य कृषि से अधिक उपज देता है। इस कृषि पद्धति से पर्यावरण का संतुलन भी बना रहता है।साथ ही फसलों पर कीट या किसी भी प्रकार की बीमारी का प्रभाव नहीं पड़ता है, जिससे कीटनाशकों पर होने वाले अनावश्यक खर्च की बचत होती है। फसलें सेहत के लिए भी फायदेमंद होती हैं। दिलचस्प बात यह है कि भारत दुनिया का तीसरा ऐसा देश है जहां ग्रीन हाउस तकनीक का सबसे ज्यादा इस्तेमाल किया जा रहा है।

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